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कविता - समय बहुत ही मूल्यवान है - सावित्री परमार | Poem - Samay Bahut Hi Mulyavan Hai by Savitri Parmar

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घूम लिए हम खूब बाग़ में
कर ली दुनिया की चर्चाएँ,
आओ बैठें झील किनारे
नए ढंग से पथ पढ़ाए।

तिनका-तिनका चुनकर लाकर
बया घोंसला बुनती है,
जो मेहनत हाथों से करते
उनकी किस्मत बनती है।

त्याग नींद का मोह सवेरे
चिड़ियाँ हमें जगाती हैं,
मूल्यवान है समय बहुत ही
हम सबको बतलाती है।

दाना-दाना खोजबीन कर
चींटी अन्न जमा करती है,
बुरे समय के लिए बचाओ
यह शिक्षा हमको देती है।

देखो कांटे ओढ़-पहनकर
फूल सभी मुस्काते, खिलते,
वही सुखी जो सही मुसीबत
इन जैसे ही हँसते-हँसते।

इसी नदी को देखो बहती
कभी न रुकती, दिन हो या शाम,
और करो कुछ और बढ़ो
कहती लेती नहीं विश्राम।

पीपल, बरगद, नीम के नीचे
पथिक सदा करते आराम,
सज्जन कभी न दुःख देते
आते सदा सभी के काम।

- सावित्री परमार

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